
लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार वर्ष 2017 से ही शिक्षा के प्रति उदासीन है। सत्र 2017, 2018 और 2019 में नौनिहालों की कॉपी किताबे 6 महीने बाद दी गयी, जो उदासीनता का ज्वलंत प्रमाण है। सत्र 2020 तथा 2021 कोरोना की भेंट चढ़ गये।
वर्ष 2017 से अब तक शिक्षा क्षेत्र में केवल नये नये प्रयोग करने की बाते की गयी और देश के भावी नागरिकों के साथ उनकी शैक्षिक जड़े कमजोर करने की साजिश की गयी। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने स्कूल कॉलेजों के अतिरिक्त लगभग सभी क्षेत्रों में छूट दे रखी है जबकि कोरोना गाइडलाईन का पालन देखने वाले स्कूल और कालेज के अतिरिक्त किसी भी क्षेत्र में उपलब्ध नहीं हैं।
स्कूल कॉलेज में शिक्षक और शिक्षिका बच्चों का निरीक्षण करते हैं और प्रधानाचार्य का भी प्रशासनिक स्तर पर योगदान रहता है जबकि अन्य स्थानों पर उत्तरदायी लोग कोरोना गाईडलाइन्स के प्रति उदासीन रहते हैं। प्रदेश सरकार इस पीढ़ी के साथ इतना भददा मजाक क्यों कर रही है जबकि स्कूल कालेजों के प्रबन्धक लगातार शिक्षण व्यवस्था प्रारम्भ करने की मांग करते चले आ रहे हैं।
आनलाईन शिक्षण व्यवस्था से लगभग 70 प्रतिशत विद्यार्थियों को लाभ नहीं हुआ है और 40 प्रतिशत विद्यार्थियों को स्मार्ट फोन उपलब्ध नहीं हो पाये हैं। सरकार की उदासीनता से आभास होता है कि इस पीढ़ी को अपढ़ और निरक्षर बनाने की भावना बलवती हो रही है ताकि भविष्य में इन सबको शाखाओं में ट्रेनिंग देकर भाजपा भक्त बनाया जा सके।
आने वाली शिक्षा नीति का मसौदा डबल इंजन कीसरकारों द्वारा तैयार किया जा चुका है जिसके आधार पर पहली परीक्षा कक्षा 12 की हो जिसका तात्पर्य है कि चतुर्थ श्रेणी की भी नौकरी की न्यूनतम योग्यता इण्टरमीडिएट की जायेगी जो अभी तक हाईस्कूल है। इस नई शिक्षा नीति को भी नई पीढ़ी के साथ साजिश की संज्ञा दी सकती है।